चीन से आ रहे सस्ते और खराब गुणवत्ता वाले सीमलेस ट्यूब को लेकर सीमलेस ट्यूब मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसटीएमएआई) ने सरकार से घरेलू उद्योग की सुरक्षा के लिए चीनी पाइप आयात पर अंकुश लगाने के लिए सख्त कदम उठाने का आग्रह किया। संगठन ने कहा कि घरेलू मांग को पूरा करने के लिए देश में सीमलेस पाइप एवं ट्यूब की पर्याप्त क्षमता है।
एसटीएमएआई के अध्यक्ष शिव कुमार सिंघल ने कहा कि घरेलू सीमलेस पाइप एवं ट्यूब उद्योग की स्थापित उत्पादन क्षमता लगभग 19.5 लाख मीट्रिक टन (एमएमटी) है, जबकि भारत में मांग 13.2 लाख मीट्रिक टन के लगभग है। जोकि कुल भारतीय मांग से काफी अधिक है।
उन्होंने कहा कि घरेलू सीमलेस पाइप उद्योग की सुरक्षा के लिए विभिन्न सुरक्षा उपायों के माध्यम से सरकार से मजबूत समर्थन के बावजूद समय के साथ चीनी पाइप आयात में खासकर पिछले तीन से चार वर्षं में तेजी से वृद्धि हुई है।
सिंघल ने कहा कि चीन से आयात को रोकने में ये हालांकि प्रयास काफी हद तक अप्रभावी साबित हुए हैं।
उन्होंने कहा कि चीनी आयातक कथित तौर पर सीमा शुल्क निकासी के समय बढ़े हुए मूल्य का ‘बिल’ दिखा रहे हैं, जबकि बाद में वे उन्हीं उत्पादों को भारतीय बाजार में घरेलू सीमलेस पाइप विनिर्माताओं की तुलना में काफी कम कीमत पर बेच रहे हैं।
एसटीएमएआई के अध्यक्ष ने कहा, ‘‘ यह प्रथा निष्पक्ष व्यापार को कमजोर करती है और भारतीय उत्पादकों को गंभीर नुकसान पहुंचाती है।’’
उन्होंने कहा कि राजस्व खुफिया निदेशालय को इसकी जांच करनी चाहिए।
घरेलू पाइप उद्योग ने पिछले कुछ दशकों में भारत में आयात-विकल्प उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण निवेश किया है जैसे कि ऑक्सीजन सिलेंडर पाइप और ड्रिल पाइप और अन्य जो सरकार की ‘मेक इन इंडिया पहल’ से मेल खाता है।
सिंघल ने कहा कि इन महत्वपूर्ण उत्पादों के लिए पर्याप्त उत्पादन क्षमता स्थापित करने के बावजूद घरेलू मिलें ठेके हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही हैं तथा उनकी क्षमता का एक बड़ा हिस्सा अब भी पूरी तरह से उपयोग में नहीं आ रहा है।
