ग्रीन एनर्जी (Green Energy) के मामले में भारत ने लंबी छलांग लगाई है। पिछले 10 सालों में ग्रीन एनर्जी से बिजली उत्पादन (Electricity production) की क्षमता 232 गीगावॉट हो गई है। जोकि मार्च 2014 में 75 गीगावॉट थी, ग्रीन एनर्जी में सरकार ने बड़े हाइड्रो पावर प्लांट (Hydro power plant), सोलर प्लांट (Solar plants) और विंडमिल (Windmill) पर विशेष ध्यान दिया। इसकी वजह से भारत में ग्रीन एनर्जी का उत्पादन काफी तेजी से हुआ है।

जानकारों के मुताबिक, एक समय था जब रिन्यूएबल एनर्जी की लागत बहुत ज्यादा थी, इसी वजह से इस क्षेत्र में निवेश कम हो रहा था। लेकिन मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद सरकार ने बड़े स्तर पर ग्रीन एनर्जी पर ध्यान देना शुरु किया। इसी वजह से भारत में ग्रीन एनर्जी के उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ-साथ इसकी लागत भी बहुत कम हो गई है। पहले जहां सोलर में प्रति यूनिट बिजली उत्पादन की लागत ₹7-8 प्रति यूनिट के आसपास चलती थी, वह अब दो या तीन रुपए पर यूनिट तक पहुंच गई है। इस वजह से भारत में लगातार ग्रीन एनर्जी का उत्पादन बढ़ रहा है।

मोदी सरकार के आने के बाद इसमें काफी तेज बढ़ोतरी भी हुई है, आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2014 में भारत में सोलर एनर्जी उत्पादन क्षमता 2.82 गीगावॉट थी, जो कि अब लगभग 110 गीगावॉट तक पहुंच गई है। इसी तरह विंड एनर्जी की क्षमता 21 गीगावॉट थी, जोकि अब बढ़कर 51 गीगावॉट तक पहुंच गई है। भारत में सोलर पैनल का उत्पादन नहीं हो रहा था, ज्यादातर सोलर पैनल चीन से आयात किए जा रहे थे, लेकिन अब भारत सोलर मॉड्यूल मैन्युफैक्चरिंग में ग्लोबल लीडर है। फिलहाल देश में 90 गीगावॉट सोलर माड्यूल मैन्युफैक्चरिंग की क्षमता है, जो की 2030 तक 150 गीगावाट तक हो जाएगी। इसी तरह सोलर सेल और वेफर्स के मामले में भी 2014 से पहले भारत में उत्पादन क्षमता लगभग जीरो थी। आज सोलर सेल और वेफर्स भी भारत में बनने लगे हैं। फिलहाल देश में 25 गीगावॉट सोलर सेल का प्रोडक्शन हो रहा है और दो गीगावॉट वेफर प्रोडक्शन भी हो रहा है। भारत ने 2030 तक रिन्यूएबल एनर्जी में 500 गीगावॉट उत्पादन क्षमता का लक्ष्य रखा है और इसी वजह से भारत अब दुनिया में सोलर एनर्जी उत्पादन के मामले में तीसरे नंबर का देश बन गया है।

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